हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , ईरान के शहर अराक में स्थित मदरसा ए फातिमा अज़ ज़हरा में बरज़ख के विषय पर एक अख़्लाकी नशिस्त आयोजित हुई। इस सभा में नमाइंद-ए वली-ए-फकीह प्रांत मरकज़ी आयतुल्लाह दरी नजफाबादी ने खिताब किया।
आयतुल्लाह दरी नजफाबादी ने इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम से मनक़ूल एक मोतबर हदीस बयान करते हुए कहा कि इंसान दुनिया में एक अस्थाई क़याम पर है और यह पूरी ज़िंदगी बरज़ख की तरफ एक सफ़र है।
उन्होंने फरमाया कि इमाम सादिक अलैहिस्सलाम इस रिवायत की शरह में फरमाते हैं,ऐ लोगो! तुम एक अस्थाई घर में जीवन बसर कर रहे हो; तुम सभी मुसाफ़िर हो और यह ज़मीन एक सवारी की तरह है जो तुम्हें तुम्हारे असल मुक़ाम, यानी बरज़ख, तक पहुँचाती है।
नमाइंद-ए वली-ए-फकीह ने उम्र की तेज़ी से गुज़रने की तरफ इशारा करते हुए कहा कि रात और दिन का गुज़रना इंसान के सीमित वक़्त का सबसे बड़ा पैग़ाम है। जिस तरह नया पुराना होता है और हरा पेड़ एक दिन पीला पड़ जाता है, उसी तरह ज़िंदगी भी अपने सफ़र के मरहले तेज़ी से तय कर रही है।
उन्होंने कहा कि आख़िरत का सफ़र बहुत लंबा है, इसलिए ज़रूरी है कि इंसान अपने अमल, किरदार और नेकियों के ज़रिए इस सफ़र की ज़रूरतें अभी से तैयार करे, क्योंकि मौत के बाद हर इंसान को इस दुनिया से जुदा होना ही है।
आयतुल्लाह दरी नजफाबादी ने कुरान ए करीम को इंसान की नजात का एकमात्र हक़ीकी रास्ता क़रार देते हुए कहा कि इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम के मुताबिक,कुरान शफ़ीअ (सिफारिश करने वाला) भी है और गवाही देने वाला भी; अमल करने वालों का मुहाफिज़ और अमल तर्क करने वालों के ख़िलाफ़ शिकायत करने वाला भी। यही किताब हक़ और बातिल और ख़ैर और शर्र के दरमियान वाज़ेह हद ए फ़ासिल है और आयात-ए-रब्बानी में से एक अज़ीम निशानी है।
उन्होंने आख़िर में तालिबा ए इल्म को कुरान से ज़्यादा लगाव तदब्बुर और उसकी अख़लाकी तालीमात पर अमल की तलक़ीन करते हुए कहा कि खूबसूरत तिलावत के साथ कुरान को समझना और उस पर अमल करना ही हक़ीकी हिदायत का रास्ता है।
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